Monday, February 2, 2015

Hasrat (हसरत)

तुझे पाने की हसरत लिए जीते रहे,
तेरे होने के लिए खुद को खोते रहे,
तेरे हो गए थे उस पल से ही,
जबसे तुझसे इकरार हुआ,
खता हुए ऐसे हमसे की सब बिखर सा गया,
काच के टुकड़ो सा ये रिश्ता टूट सा गया,
तेरी वफ़ा का भी क्या सीला दिया हमने,
दिल तोड़ तुझे ही रुला दिया हमने।

By Admin:- Digvijay Singh Gaur

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