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Wednesday, February 4, 2015

Father (पिता)


Dedicated to Father
जिसकी ऊँगली पकड़ कर चलना सीखा,
जिसके कन्धों पर बैठ कर इस जहाँ को देखा,
जिसके संग चल इस संसार को घुमा,
जिसके साथ होने से मे डरता नही था,
मेरी इक आह पे जो दौड़ा चला आता था,
जो मेरी एक मुस्कान के लिये दुनिया से लड़ता,
जो बिन कहै हि मेरे दर्द को समझ जाता,
जो पूरी जिंदगी हमारे लिए जीता,
कभी डाटता को कभी सीने से लगा लेता,
कभी दूर खडा ख़ामोशी से देखता,
तो कभी पास आकर समझाता,
कभी हस्ता तो कभी रो देता,
कभी कंधो पे उठा झूम उठता,
जिसका सबकुछ मेरा और मेरे वजूद वो है,
Love You Papa.


पर आज शायद ये रिश्ते इस भागडोर मे फीके पड रहे हे,
अपने ही अपनो से दूर हो रहे है,
पिताजी,फादर और अब डैड हो गए है,
माँ अब मोम हो गई है,
और तो क्या कहु यारो,
अपने ही अपनों के दुश्मन हो गए है,
संभाल लो इन रिश्तों को जो टूट रहे है,
चंद खुशिया है ये जिंदगी की बटोर लो अगर बटोर सको तो,
वरना एक दिन इनका रिश्तों नाम रह जाये गा,
चंद तस्वीरें और ख़ाली मकान रह जाये गा।
Love You All
Don't break any kind of relations.

By :-Digvijay Singh Gaur
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Shyari part-01