Thursday, January 29, 2015

Raahi (राहि)

राहो में काटे हे बहूत मगर तू रुकना मत राही,
चला चल बढ़ा चल अपनी मंज़िल की और,
देखते हे दम है कितना टेरे इन इरादो में,
देखते हे कोन है अपना इन काटो भरी रहो में,
मंज़िल भी हे बहुत रास्ते भी हे अनेक,
मगर तू न डगमगाना अपनी मंज़िल से,
बस एक कदम और मिट जायेगे सारे फासले,
बस एक कदम और खुल जायेगे सारे राज,
कोन हे अपना कोन परया इस दुनिया के झमेले में,
बस एक कदम और मगर तू रुकना नही इन रहो में।

By Admin:- Bhanwar Digvijay Singh Gaur

Khoya Desh (खोया देश)

कहा खो गया इस देश का इतिहास,
कहा खो गया इस देश का संस्कार,
कहा खो गया इस देश का स्वाभिमान,
कहा खो गया इस देश का युवा,
कहा खो गया इस देश का आक्रोश,
कहा खो गया इस देश का सम्मान,
कहा खो गये इस देश के मार्गदर्शन,
कहा खो गये इस देश के रक्षक,
कहा खो गये इस देश के अमर शहीद,
कहा खो गया इस देश के क्रन्तिकारी,
क्या बन गया है ये अब मुर्दो का घर,
या कोई है इंसान इन मुर्दा घर में जो बतलाये मुझे ये सब।

By Admin:- Bhanwar Digvijay Singh Gaur

Money (पैसा)

चंद सिक्को की खनक है ये पैसा,

खुद की ही कीमत है ये पैसा,

आँखो की चमक है ये पैसा,

किसी की मेहनत है ये पैसा,

जिंदगी जीने का जरिया है ये पैसा,

कभी  रिश्तों की मिठास तो कभी कडवाहट है ये पैसा,

किसी के दूर होने की वजह है ये पैसा,

अजनबियों को पास बुलाने का जरिया है ये पैसा,

एक नशा है ये पैसा,

पर जिंदगी की जरूरत है ये पैसा,

हाय रे पैसा हाय रे पैसा.....

कैसा है ये पैसा रे पैसा......

सबको नाच नचाये ये पैसा,

हाय रे पैसा हाय रे पैसा.....

By Admin:- Bhanwar Digvijay Singh Gaur

Yuva Bharat (युवा भारत)

आजाद भारत की जवाँ तस्वीर है हम ,

उचाईयो को छूने की ताकत है हम ,

हर मुश्किल को सहने की ताकत है हम ,

बुलंद भारत की जवाँ तस्वीर है हम ,

सहे है जुल्मो सितम अनेको बार ,

पर उस पर भी उठ खड़े होने की ताकत है हम ,

आज आया है वो क्षण गौरव का ,

जो दिखलाये हमारी ताकत सबको ,

इस क्षण को भर अपने जहन मे , 

हम फिर चल दिए छूने नई उचाईयो को 

जय हिन्द

भारत माता की जय 

By Admin:- Bhanwar Digvijay Singh Gaur

Jindgi (जिंदगी)


जिंदगी की राहे भी बहुत है 

जिंदगी के सितम भी बहुत है

जिंदगी मे हसने और रोने के बहाने भी बहुत है

जिंदगी के इस राह मे काफिले भी बहुत है

जिंदगी के इस जहा मे तुम अपनी राह बनाये चलना

ये जिंदगी है मेरे दोस्त 

थोड़ी गमो की फुहार फिर खुशियो की बारिश है

जिंदगी की इस जंग मे खुद को तुम जमाये रखना 

दुनिया की इस भीड़ मे अपनों का साथ बनाये रखना 

मिलेगे लोग बहुत पर उनको परख कर अपनाना 

पर जिंदगी के इस जहाँ मे किसी को दिल मे बसाये रखना

By Admin:- Bhanwar Digvijay Singh Gaur

जागो उठो

जागो उठो बढ़ो ये वक़्त तुम्हारा है, और तुम इसके वाहक,

बढ़ाओ कदम से कदम थामे एक दूजै का हाथ ,

एक आवाज में कर दो शंख्नाद इस नए युग का, 

हो उची आवाज तुम्हारी की सत्ता के गलियारे कापै, 

तुम्हे मई है वो आग जो पत्थर को भी पिघला सके ,

तो ये शीर्ष सिहासन पर बैठे ये नेता क्या है ...?

आज आग है इस देश युवा,

जो है फोलादी सीनै वाला,

ना वो कभी कैसे से डरा ,

ना अपने मार्ग से भटका है,

दृढ है प्रतिज्ञा हमारी की लायेगे वो भारतवर्ष जो था कभी सोने की चिड़िया 

By Admin:- Bhanwar Digvijay Singh Gaur

आखिर कब....

कब तक लड़ते रहेगे हम अपने  आप से ?

कब तक जलते रहेगे हम इस आरक्षण की आग मे,

कब तक हम युही रहेगे खामोश ,

कब तक देखेगे ये बन्दर नाच ,

कब होगा ये युग परिवर्तन  और कब जागेगा स्वाभिमान

कब होगे पैदा आजाद भगत जैसे भारत माता के लाल 

कब होगी वो क्रांति जो लाये वापिस वो हिन्दुस्थान 

कब आयेगे मुस्कान उन मासूम से चेरहो पर

कब होगा उत्थान इस देश के युवाओ का 

कब जागेग ये भारत वर्ष आखिर कब.... 

By Admin:- Bhanwar Digvijay Singh Gaur

Ek Tamanna (एक तमन्ना)

एक तमन्ना थी इस दिल की तमन्ना बन के रह गई।
सोचा था जाउगा मैं भी  दूर आसमान के किनारे,
जाना था जहाँ वो किनारे कही खो गए ,
बस छाई है तन्हाई इस आसमान मे
ना जाने वो लम्हे कहा बीत गये ।
मन तो एक पंछी है जग की  बैडियो को क्या जाने।
एक तमन्ना थी  इस दिल की  तमन्ना बनके रह गई ।
आज एक उत्साह था, उमंग थी, तरंग थी इस मन मे,
पर ना जाने क्यों होसलो की उड़ान नही भर पाया ।
कुछ तो है, कहि तो है,
एक कसक है मन मे,
ना जाने कब ये पूरी होगी।
एक तमन्ना है इस दिल की तमन्ना बन के रह गई ।

By Admin:- Bhanwar Digvijay Singh Gaur

तोड़ दो

तोड़ दो उन गुलामी की जंजीरो को 

तोड़ दो उन रस्मो को जो अभी तक बनाये हुए है पंगु हमे

तोड़ दो वो सारे नियम जो हमसे हमारा जीवन छीने

हटा दो वो निषेध शब्द अब हिन्दुस्थान कई गलियारे से 

बदल दो इस देश को

मिटा वो उन लम्हों को जो याद दिलाये हमे गुलामी की

मिटा दो वो निशानिया जो दे गए ये गोरे अग्रेज

और बदल दो ये तखत और ताज इन काले अग्रेजो 

चूमो अपनी माटी को जिसके कण-कण मे बसा प्यार है 

याद करो उन सहीदो की क़ुरबानी जिन्होंने इसी प्यार के लिए दिए अपने प्राण है

जय हिन्द

By Admin:- Bhanwar Digvijay Singh Guar

Shyari part-01