Thursday, January 29, 2015

Jindgi (जिंदगी)


जिंदगी की राहे भी बहुत है 

जिंदगी के सितम भी बहुत है

जिंदगी मे हसने और रोने के बहाने भी बहुत है

जिंदगी के इस राह मे काफिले भी बहुत है

जिंदगी के इस जहा मे तुम अपनी राह बनाये चलना

ये जिंदगी है मेरे दोस्त 

थोड़ी गमो की फुहार फिर खुशियो की बारिश है

जिंदगी की इस जंग मे खुद को तुम जमाये रखना 

दुनिया की इस भीड़ मे अपनों का साथ बनाये रखना 

मिलेगे लोग बहुत पर उनको परख कर अपनाना 

पर जिंदगी के इस जहाँ मे किसी को दिल मे बसाये रखना

By Admin:- Bhanwar Digvijay Singh Gaur

No comments:

Shyari part-01